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Lotus Cultivation

कीचड़ में ही नहीं खेत में भी खिलता है कमल, कम समय व लागत में मुनाफा डबल !

कीचड़ में ही नहीं खेत में भी खिलता है कमल, कम समय व लागत में मुनाफा डबल !

कम लागत में ज्यादा मुनाफा कौन नहीं कमाना चाहता ! लेकिन कम लागत में खेत पर कमल उगाने की बात पर चौंकना लाजिमी है, क्योंकि आम तौर पर सुनते आए हैं कि कमल कीचड़ में ही खिलता है। 

जी हां, कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो कम लागत में ज्यादा उत्पादन, संग-संग ज्यादा कमाई के लिए कृषकों को खेतों में कमल की खेती करनी चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों ने कमल को कम लागत में भरपूर उत्पादन और मुनाफा देने वाली फसलों की श्रेणी में शामिल किया है। 

लेकिन यह बात भी सच है -

जमा तौर पर माना जाता है कि तालाब झील या जल-जमाव वाले गंदे पानी, दलदल आदि में ही कमल पैदा होता, पनपता है। लेकिन आधुनिक कृषि विज्ञान का एक सच यह भी है कि, खेतों में भी कमल की खेती संभव है। 

न केवल कमल को खेत में उगाया जा सकता है, बल्कि कमल की खेती में समय भी बहुत कम लगता है। अनुकूल परिस्थितियों में महज 3 से 4 माह में ही कमल के फूल की पैदावार तैयार हो जाता है।

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कमल के फूल का राष्ट्रीय महत्व -

भारत के संविधान में राष्ट्रीय पुष्प का दर्जा रखने वाले कमल का वैज्ञानिक नाम नेलुम्बो नुसिफेरा (Nelumbo nucifera, also known as Indian lotus or Lotus) है। भारत में इसे पवित्र पुष्प का स्थान प्राप्त है। 

भारत की पौराणिक कथाओं, कलाओं में इसे विशिष्ट स्थान प्राप्त है। प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति के शुभ प्रतीक कमल को उनके रंगों के हिसाब से भी पूजन, अनुष्ठान एवं औषथि बनाने में उपयोग किया जाता है। 

सफेद, लाल, नीले, गुलाबी और बैंगनी रंग के कमल पुष्प एवं उसके पत्तों, तनों का अपना ही महत्व है। भारतीय मान्यताओं के अनुसार कमल का उद्गम भगवान श्री विष्णु जी की नाभि से हुआ था। 

बौद्ध धर्म में कमल पुष्प, शरीर, वाणी और मन की शुद्धता का प्रतीक है। दिन में खिलने एवं रात्रि में बंद होने की विशिष्टता के अनुसार मिस्र की पौराणिक कथाओं में कमल को सूर्य से संबद्ध माना गया है।

कमल का औषधीय उपयोग -

अत्यधिक प्यास लगने, गले, पेट में जलन के साथ ही मूत्र संबंधी विकारों के उपचार में भी कमल पुष्प के अंश उत्तम औषधि तुल्य हैं। कफ, बवासीर के इलाज में भी जानकार कमल के फूलों या उसके अंश का उपयोग करते हैं।

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खेत में कमल कैसे खिलेगा ?

हालांकि जान लीजिये कमल की खेती के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना अनिवार्य है। खास तौर पर नमीयुक्त मिट्टी इसकी पैदावार के लिए खास तौर पर अनिवार्य है। 

यदि भूमि में नमी नहीं होगी तो कमल की पैदावार प्रभावित हो सकती है। मतलब साफ है कि खेत में भी कमल की खेती के लिए पानी की पर्याप्त मात्रा जरूरी है। ऐसे में मौसम के आधार पर भी कमल की पैदावार सुनिश्चित की जा सकती है।

खास तौर पर मानसून का माह खेत में कमल उगाने के लिए पुूरी तरह से मददगार माना जाता है। मानसून में बारिश से खेत मेें पर्याप्त नमी रहती है, हालांकि खेत में कम बारिश की स्थिति में वैकल्पिक जलापूर्ति की व्यवस्था भी रखना जरूरी है।

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खेत में कमल खिलाने की तैयारी :

खेत में कमल खिलाने के लिए सर्व प्रथम खेत की पूरी तरह से जुताई करना जरूरी है। इसके बाद क्रम आता है जुताई के बाद तैयार खेतों में कमल के कलम या बीज लगाने का। इस प्रक्रिया के बाद तकरीबन दो माह तक खेत में पानी भर कर रखना जरूरी है। 

पानी भी इतना कि खेत में कीचड़ की स्थिति निर्मित हो जाए, क्योंकि ऐसी स्थिति में कमल के पौधों का तेजी से सुगठित विकास होता है। भारत के खेत में मानसून के मान से पैदा की जा रही कमल की फसल अक्टूबर माह तक तैयार हो जाती है। 

जिसके बाद इसके फूलों, पत्तियों और इसके डंठल ( कमलगट्टा ) को उचित कीमत पर विक्रय किया जा सकता है। मतलब मानसून यानी जुलाई से अक्टूबर तक के महज 4 माह में कमल की खेती किसान के लिए मुनाफा देने वाली हो सकती है।

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कमल के फूल की खेती की लागत और मुनाफे का गणित :

एक एकड़ की जमीन पर कमल के फूल उगाने के लिए ज्यादा पूंजी की जरूरत भी नहीं। इतनी जमीन पर 5 से 6 हजार पौधे लगाकर किसान मित्र वर्ग भरपूर मुनाफा कमा सकते हैं। 

बीज एवं कलम आधारित खेती के कारण आंकलित जमीन पर कमल उपजाने, खेत तैयार करने एवं बीज खर्च और सिंचाई व्यय मिलाकर 25 से 30 हजार रुपयों का खर्च किसान पर आता है।

1 एकड़ जमीन, 25 हजार, 4 माह -

पत्ता, फूल संग तना (कमलगट्टा) और जड़ों तक की बाजार में भरपूर मांग के कारण कमल की खेती हर हाल में मुुनाफे का सौदा कही जा सकती है। कृषि के जानकारों के अनुसार 1 एकड़ जमीन में 25 से 30 हजार रुपयों की लागत आती है।

इसके बाद 4 महीने की मेहनत मिलाकर कमल की पैदावार से अनुकूल स्थितियों में 2 लाख रुपयों तक का मुनाफा कमाया जा सकता है।

अब कमल सिर्फ तालाब या कीचड़ में ही नहीं खेत में भी उगेगा, जानें कैसे

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किसान भाई एक एकड़ में कमल की खेती का काम करेंगे तो उन्हें 5 से 6 हजार का पौधरोपण करना पड़ेगा। बतादें, कि इसकी खेती काफी सस्ती होती है। एक एकड़ भूमि में केवल 25 से 30 हजार रुपये का खर्चा आता है। लोगों को लगता है, कि कमल सदैव कीचड़ अथवा तालाब में ही पैदा होता है। परंतु, अब ये बात पुरानी हो चुकी है। वर्तमान में प्याज, लहसुन, धान और गेहूं की भांति कमल की खेती भी की जा रही है। इससे किसान भाइयों को काफी अच्छा लाभ प्राप्त हो रहा है। विशेष बात यह है, कि कमल की फसल चार माह के अंदर ही तैयार हो जाती है। अर्थात आप 4 महीने के उपरांत कमल के फूल तोड़कर बाजार में बेच सकते हैं। अब तक बाजार में एक कमल के फूल का भाव 30 रुपये से लगाकर 40 रुपये तक है। इस प्रकार यदि किसान भाई एक एकड़ में कमल की खेती करते हैं, तो लाखों रुपये की आमदनी कर सकते हैं।

कमल की खेती के लिए कौन-सा मौसम उपयुक्त है

कमल की खेती के लिए वर्षा का मौसम उपयुक्त माना गया है। क्योंकि अत्यधिक बरसात होने पर कमल के पौधे तीव्रता के साथ विकास करते हैं। ऐसे भी इस हफ्ते के अंत तक उत्तर भारत में मानसून की दस्तक हो जाएगी। अब ऐसी स्थिति में किसान भाई धान एवं खरीफ फसलों के स्थान पर कमल की भी खेती कर सकते हैं। विशेष बात यह है, कि कमल की खेती भी धान की फसल की भांति ही की जाती है। इसके खेत में भी सदैव जलभराव रखना होता है। जितना ज्यादा खेत में कीचड़ रहेगा, उतना अच्छा उत्पादन भी होगा।

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कमल की खेती के लिए खेत को तैयारी

यदि आप कमल की खेती करना चाहते हैं, तो सर्वप्रथम भुरभुरी मृदा होने तक खेत की जुताई करें। इसके उपरांत पाटा चलाकर खेत को एकसार कर दें। इसके पश्चात आप कमल के कलम या इसके बीज की बिजाई कर सकते हैं। बिजाई करने के उपरांत दो माह तक खेत में जल भरकर रखा जाता है। जिससे कि पौधों को प्रचूर मात्रा में पानी मिलता रहे। साथ ही, खेत में कीचड़ भी निर्मित किया जाता है। इससे फसल तीव्रता के साथ विकास करता है। यदि आप जून के माह में कमल की रोपाई करते हैं, तो अक्टूबर तक फसल पूर्णतय तैयार हो जाएगी। अर्थात आप इससे कमल के फूल तोड़ सकते हैं।

कमल की एक एकड़ खेती के लिए कितने पौधे लगेंगे

किसान भाई एक एकड़ में कमल की खेती करते हैं, तो उनको 5 से 6 हजार पौधे लगाने होंगे। इसकी खेती काफी ज्यादा सस्ती है। एक एकड़ में मात्र 25 से 30 हजार रुपये का खर्चा होता है। साथ ही, फूल, बीज एवं गट्ठे तक बाजार में सहजता से बिक जाते हैं। इस प्रकार किसान भाई इसकी खेती से 2 लाख रुपये की आमदनी कर सकते हैं। यदि किसान भाई चाहें, तो कमल के साथ- साथ मखाना एवं सिंघाड़े की भी कमल के खेत में खेती कर सकते हैं। क्योंकि यह दोनों फसलें भी पानी के अंदर ही तैयार होती हैं।